Laghu Udyog : लघु उद्योग क्या है? 2024 में लघु उद्योग कैसे शुरू करें ? Business Mantra
लघु उद्योग /कम निवेश / सपनों को दे नई उड़ान
क्या आप अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं?
क्या आप कम निवेश में ज़्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं?
लघु उद्योग आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है!
यह आर्टिकल्स उन लोगों के लिए उपयोगी है जो अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, खासकर कम निवेश में अपना स्वयं का बिजनेस करना चाहते हैं।
लघु उद्योग (Laghu Udyog) क्या है?
लघु उद्योग, छोटे पैमाने पर किए जाने वाले उद्यम या व्यवसाय है। यानी ऐसे काम जो छोटे स्तर पर किए जाते है. जिसे उद्यमी स्वयं संचालित करता है या किसी पार्टनर के साथ मिलकर करता है.
ये उद्योग कम पूंजी निवेश, कम श्रम, और स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करके उत्पादों (प्रोडेक्ट) का निमार्ण या सेवाओं का प्रदान किया जाता है। लघु उद्योग को छोटे से जगह पर किया जाता है या फिर घर से भी शुरू किया जा सकता है
लघु उद्योग को शुरू करने के लिए कम पूंजी की आवश्यकता होती है. लघु उद्योग स्थापित करने के लिए मशीनें, कच्चा माल, मजदूर, और लोन भी सस्ते दर पर मिलते है.
लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा मदद भी दी जाती है. लघु उद्योग करने वालो को वित्त संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार लोन देती है इसमें सब्सिडी की सुविधा भी है.
लघु उद्योग को अलग-अलग तीन श्रेणी में रखा गया है. अति या सूक्ष्म लघु उद्योग, लघु उद्योग और मध्यम उद्योग. भारत सरकार द्वारा लघु उद्योगों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें निवेश की गई राशि और कर्मचारियों की संख्या प्रमुख आधार हैं।
लघु उद्योग (Laghu Udyog) के प्रकार :
अति लघु उद्योग, लघु उद्योग, मध्यम उद्योग को भी दो क्षेत्र में बांटा गया है.
1 निर्माण क्षेत्र यानी म्युनिफेक्चरिंग सेक्टर
2 सेवा क्षेत्र यानी सर्विस सेक्टर
इन दोनों सेक्टर को भी तीन श्रेणियों में बांटा गया है. सूक्ष्म लघु उद्योग, लघु उद्योग और मध्यम उद्योग.
सूक्ष्म लघु उद्योगः 1 करोड़ रुपये तक के निवेश वाले उद्योग।
लघु उद्योगः 1 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये तक के निवेश वाले उद्योग।
मध्यम उद्योगः 10 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये तक के निवेश वाले उद्योग।
लघु उद्योगों को निम्नि वर्गो में रखा गया है
1 उत्पादन उद्योग :
इसके अंतर्गत उन उद्योगों को रखा गया है जिसमें कच्चे माल यानि रॉमटेरियल द्वारा प्रोडेकट बनाएं जाते है।
2 सेवा उद्योग :
ये उद्योग विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, आदि।
3 कृषि आधारित उद्योग :
इसके अंतर्गत कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योग होते हैं, जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, आदि।
लघु उद्योग (Laghu Udyog) कैसे शुरू करें :
तीनों वर्गो के अंतर्गत आने वाले किसी भी लघु उद्योग को आप अपने बजट के हिसाब से शुरू कर सकते है।
व्यवसाय का चुनाव :
इसके लिए सबसे पहले, आपको एक ऐसा व्यवसाय का चुनना करना होगा जो आपके कौशल, रुचि और बाजार की मांग के अनुरूप हो।
योजना बनाना :
व्यवसाय का चुनाव करने के बाद एक विस्तृत व्यवसाय योजना बनाएं जिसमें आपके प्रोडेक्ट या सेवा, लक्षित बाजार, मार्केटिंग रणनीति, और वित्तीय अनुमान शामिल हों।
वित्तपोषण (बजट)ः
व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको धन की आवश्यकता होगी। आप बैंक ऋण, सरकारी अनुदान, या निजी निवेशकों से धन प्राप्त कर सकते हैं।
व्यवसाय का प्रचार :
- अपने लक्षित ग्राहकों की जरूरतों और रुचियों को समझें। अपने उत्पादों या सेवाओं का प्रचार करें और ग्राहकों तक पहुंचें।
- अपने व्यवसाय को लोगों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न मार्केटिंग रणनीतियों का उपयोग करें।
लाइसेंस और पंजीकरण :
भारत में छोटे स्तर पर उद्योग करने वालो के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि आप उद्योग को बिजनेस के तौर पर करना चाहते है तो इसका रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है.
इसके अलावा यदि आप लघु उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा चलाएं जाने वाली योजनाओं और मिलने वाली सहायता का लाभ लेना चाहते है तो इसके लिए आपको उद्योग का रजिस्टेशन एस डी आई से करवाना अनिवार्य है.
लघु उद्योगों यानी स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज का रजिस्ट्रेशन स्टेट डायरेक्टर ऑफ इंडस्ट्री यानी एस डी आई (Small Directorate of Industries) से होता है. कुछ लघु उद्योग ऐसे है जिनका उत्पादन करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों से अनुमति लेना अनिवार्य है.
लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन दो तरह से करवाया जा सकता है. पहला स्थाई तौर पर और दूसरा है अस्थाई तौर पर.
अस्थाई रजिस्ट्रेशन
अस्थाई रजिस्ट्रेशन लघु उद्योग की स्थापना से पूर्व किया जाता है. इसके अंतर्गत मिलने वाले प्रमाणपत्र की वैधता दो वर्ष की होती है. यदि इन दो वर्षो में किसी प्रकार का कोई उत्पादन नहीं हुआ है तो उद्यमी दोबारा उसी प्रमाण पत्र को रेनुवल करवा सकता है, लेकिन इस के बाद उद्यमी को सिर्फ छह माह का समय दिया जाता है. छह माह बाद इसकी वैधता खत्म हो जाती है.
स्थाई रजिस्ट्रेशन
यह रजिस्ट्रेशन, अस्थाई रजिस्ट्रेशन के दो वर्ष बाद मिलता है वह भी उस वक्त जब अस्थाई प्रमाण पत्र की वैधता खत्म हो जाती है और लघु उद्योग पूरी तरह से उत्पादन करने लगता है. स्थाई रजिस्ट्रेशन भी राज्य उद्योग निर्देशालय के द्वारा कराया जाता है. स्थाई रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र की वैधता तब तक रहती है. जब तक वह उद्योग चल रहा है.
वर्तमान समय में रजिस्ट्रेशन करवाना और भी सरल हो गया. अब आप ऑनलाइन भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते है. कोई व्यक्ति जो लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवाना चाहता है. वह यूएएम (UAM) के पोर्टल पर जाकर अपने उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवा सकता है. लेकिन इसके लिए आधारकार्ड का होना जरूरी है. आधारकार्ड के आधार पर ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भरा जाता है.
ऑनलाइन फॉर्म भरते समय उसमें पूछी गई जानकारियों को सही-सही भरना चाहिए. क्योंकि एक बार सबमिट हो जाने के बाद उसमें किसी भी तरह की कोई फेर बदल नहीं की जा सकती है.
यूएएम (UAM½ क्या है?
यूएएम यानी उद्योग आधार मेमोरेंडम (Uyog Aadhaar Memorandum) है. साधारण शब्दों में हम कह सकते है उद्योग, लघु उद्योग और कुटीर उद्योग अर्थात एम एस एम ई (MSME) को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने की एक प्रक्रिया है. इसके अंतर्गत उद्यमी को अपना आधार नंबर, नाम, उद्योग का नाम, उद्योग की स्थापना करने की तिथि आदि की जानकारी देनी होती है. यह फिलहाल मुफ्त है. भविष्य में इसके लिए चार्ज देना पड़ सकता है.
लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवाना क्यों जरूरी है.
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लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवाना इसलिए जरूरी है ताकि सरकार द्वारा लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दी जाने वाले लाभ आपको मिल सके. अब आईए देखते है लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवाने पर कौन कौन से लाभ मिल सकते हैं.
1 बैंको से ऋण मिलने में आसानी होती है.
2 बैंको से मिलने वाले लोन पर ब्याज दर कम होता है.
3 एक्साईज टैक्स में छूट की योजना
4 कानून के मुताबिक प्रत्यक्ष छूट
5 आरक्षण का प्रावधान
फ्रेंडस आप चाहे किसी भी श्रेणी में कोई भी उद्योग क्यों न कर रहे है उसका रजिस्ट्रेशन जरूर करवाएं. क्योंकि यह आपके हित में होगा. ध्यान रहे लघु उद्योग शुरू करने के लिए आवश्यक सरकारी लाइसेंस और पंजीकरण जरूर करवा लें। जिससे आगे चलकर आपको किसी तरह के कानूनी कार्यवाही का सामना ना करना पड़े।
लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही है. ध्यान रहे इस योजना का लाभ सिर्फ उन्हीं उद्यमियों को मिलता है जो सरकार द्वारा मान्य किए गए है.
लघु उद्योगों (Laghu Udyog) के लिए सरकारी योजनाएं :
सरकार लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है। इन योजनाओं के तहत, उद्योगों को वित्तीय सहायता, सब्सिडी, और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
1 प्रधान मंत्री रोजगार जनरेशन योजना
इसे शॉर्ट में (PMEGP) कहा जाता है. प्रधान मंत्री रोजगार जनरेशन योजना केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजना है. इस योजना को सूक्ष्म, लघु एंव मध्यम उद्योग मंत्रालय के विभाग खादी ग्राम उद्योग की देखरेख में शुरू किया गया है. खादी ग्राम उद्योग की शाखाएं देश के सभी राज्यों में स्थापित है. इसलिए राज्य स्तर पर इस योजना का क्रियान्वयन खादी एवं ग्राम उद्योग की शाखा द्वारा किया जाएगा.
उद्धेश्य
इस योजना का मुख्य उद्धेश्य है ग्रामीण ओर शहरी क्षेत्रों में लघु उद्योगों, सूक्ष्म उद्योगों, कुटीर उद्योगों की संख्या को बढ़ाकर भविष्य में ऐसे कारीगरों को एक स्थिर उद्योग देने का है. जिससे परंपरागत तरीके उद्योग को चलाने वाले शिल्पियों, कारीगरों को अपनी खानदानी हस्तकालाओं को बंद करके रोजी रोटी के लिए शहरों की ओर पलानय न करना पड़े.
इस योजना का दूसरा मुख्य उद्धेश्य है, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना. ग्रामीण और शहरी बेरोजगार युवा कारीगरों को एकत्र करना और उन्हें उद्योग के लिए प्रोत्साहित करना व उद्योग शुरू करने में मदद करना.
2 प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
मुद्रा यानी माईक्रो युनिट डेवलपमेंट एण्ड रेफिनेस एजेंसी लिमिटेड (Micro Unite Development & Refinance Agency Ltd.)
मुद्रा योजना का मुख्य उद्धेश्य है सूक्ष्म उद्योग के लिए बैंको और अन्य संस्थाओं से लोन दिलाना है. ताकि छोटे उद्यमी अपने उद्योग को सुचारू रूप से चला सकें. एक आकडें के अनुसार देश के लगभग 90 प्रतिशत सूक्ष्म उद्योग धन के अभाव में बंद हो जाते थे. क्योंकि इसके पहले अधिकतर उद्यमी बैंक नहीं जा पाते थे या फिर बैंक उन्हें आसानी से लोन नहीं देती थी.
सू़क्ष्म उद्यमियों को आसानी से लोन देने के लिए मुद्रा योजना आंरम्भ की गई. मुद्रा योजना को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहला है जिन्हें 50,000 से कम का लोन चाहिए, दूसरा है 50 हजार से अधिक और पांच लाख से कम, इसी तरह तीसरा है, 5 लाख से अधिक और 10 लाख से कम लोन चाहिए.
लघु उद्योग के (Laghu Udyog) लाभ :
लघु उद्योग शुरू करने से क्या फायदा होता है।
- लघु उद्योग रोजगार का सृजन होता है। लघु उद्योग बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- आर्थिक विकास में मदद करती है। लघु उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।
- लघु उद्योग गरीबी उन्मूलन और जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
- आत्मनिर्भरता : लघु उद्योग देश को आयात पर निर्भरता कम करने में मदद करते हैं।
- कौशल विकास : लघु उद्योग लोगों को नए कौशल सीखने और विकसित करने का अवसर प्रदान करते हैं।
लघु उद्योग (Laghu Udyog) के फायदेः
कम निवेश : लघु उद्योग शुरू करने के लिए अपेक्षाकृत कम पूंजी की आवश्यकता होती है।
सरकारी सहायता : सरकार द्वारा लघु उद्योगों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान की जाती है, जैसे कि ऋण, सब्सिडी, और कर छूट।
FAQ
Q. 1 लघु उद्योग क्या है?
Ans. लघु उद्योग, छोटे पैमाने पर किए जाने वाले उद्यम या व्यवसाय है। यानी ऐसे काम जो छोटे स्तर पर किए जाते है. जिसे उद्यमी स्वयं संचालित करता है या किसी पार्टनर के साथ मिलकर करता है.
ये उद्योग कम पूंजी निवेश, कम श्रम, और स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करके उत्पादों (प्रोडेक्ट) का निमार्ण या सेवाओं का प्रदान किया जाता है। लघु उद्योग को छोटे से जगह पर किया जाता है या फिर घर से भी शुरू किया जा सकता है
Q. 2 लघु उद्योग के फायदे?
Ans. कम निवेश : लघु उद्योग शुरू करने के लिए अपेक्षाकृत कम पूंजी की आवश्यकता होती है।
सरकारी सहायता : सरकार द्वारा लघु उद्योगों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान की जाती है, जैसे कि ऋण, सब्सिडी, और कर छूट।
Q. 3 लघु उद्योग के प्रकार?
Ans. अति लघु उद्योग, लघु उद्योग, मध्यम उद्योग को भी दो क्षेत्र में बांटा गया है.
1 निर्माण क्षेत्र यानी म्युनिफेक्चरिंग सेक्टर
2 सेवा क्षेत्र यानी सर्विस सेक्टर
इन दोनों सेक्टर को भी तीन श्रेणियों में बांटा गया है. सूक्ष्म लघु उद्योग, लघु उद्योग और मध्यम उद्योग.
Laghu Udyog : लघु उद्योग क्या है? 2024 में लघु उद्योग कैसे शुरू करें? Business Mantra
लघु उद्योग कैसे शुरू करें
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