बिना दूध की गोशाला 12 महिने करोड़ों कमाई का नया तरीका
बिना दूध की गोशाला 12 महिने करोड़ों कमाई का नया तरीका : Business Mantra
आज हम जानकारी दे रहे हंै एक ऐसे बिजनेस के बारे में जिसमें सेवा भी है और कमाई भी. आप ऐसी डेयरी की कल्पना किजिए जहां गाय तो है पर दूध नहीं है. इसके बावजूद करोड़ों की कमाई होती है.
बिना दूध की डेयरी फिर भी करोड़ों की कमाई सुनकर जरूर आश्चर्य हो रहा होगा. जी हां यह सच है आज हम बिना दूध की डेरी के बिजनेस के बारे में जानकारी दें रहें हैं. यदि आप इस बिजनेस के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो इस वीडियो को अंत तक जरूर देखें.
देखा गया है गाय जब तक दूध देती है तब तक उसकी खूब सेवा की जाती है जब वह दूध देना बंद कर देती है तो उसकी ओर ध्यान नहीं दिया जाता है या उसे आवारा चरने के लिए छोड़ दिया जाता है.
लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि गोमाता का दूध ही मानव के लिए फायदेमंद नहीं होता वह इसके अलावा भी बहुत कुछ देती है जिसके द्वारा सिर्फ उसकी सेवा ही नहीं कमाई भी की जा सकती है.
दूध के अलावा गोमाता का गोबर और मूत्र काफी उपयोगी होते है. इसलिए पुराण में गाय को कामधेनू कहा गया है. इस बात को आज वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं. गोमाता के गोबर, उसके रस तथा मूत्र के द्वारा अनेक प्रकार के औषिधी और कीटनाशक का निर्माण किया जा रहा है. जो मानवजाति के लिए ही नहीं पर्यावरण के लिए काफी लाभदायक है.
अनेक संस्थाओं द्वारा किए गए सर्वे में पता चला है कि देश के हर हिस्सों में हजारों की संख्या में गायों को दूध न देने की स्थिति में उन्हें खुला छोड़ दिया जाता है. इसके बाद गोमाता सब्जी बाजार में या भीड़भाड़ वाले इलाके में इधर-उधर मुंह मारती फिरती है. भूख से व्याकुल वह जहरिली प्लास्टिक की पन्नी और गंदें चीजें खाने को मजबूर हो जाती है. और असमय मौत का शिकार हो जाती है. लावारिश पशु ट्राफिक के लिए भी समस्या पैदा करती है.
आज के दौर में इन लावारिश गायों की सेवा करते हुए विशुद्ध लाभ कमाने का एक व्यापार उभर कर सामने आया है. लावारिश गायों की सेवा करते हुए लाभ कमाया जा सकता है. लावारिश गायों की सेवा और व्यापार सुनकर अधिकतर लोगों को आश्चर्य हो रहा होगा किन्तु यह सच है. दूध न देने वाली गाय को जमा कर गाय सेवा करेंगे इसके बदले गोमाता आप पर खूब पैसा बरसाएगी.
गाय को आस्था और राजनीति से जोड़ने की बजाय इसका शुद्ध व्यापार किया जाएं तो देश की उन्नति होगी और गोमाता प्लास्टिक और जहरीली चीज़ खाने से बच जाएगी. और उसकी असमय मौत नहीं होगी. आप लोगों ने एक कहावत सुनी होगी. मरा हाथी भी लाख का होता है. ठीक उसी तरह से दूध न देने वाली गाय भी लाखों की कमाई कराती है.
हरियाणा के हिसार स्थित किसान धाम के श्री लाडवा गौशाला द्वारा ग्यारह सौ लावारिश पशुओं को पाला जा रहा है और प्रति वर्ष 3.5 करोड़ रूपए की कमाई की जाती है. उनके गोशाला में गाय के गोबर और मूत्र को बेच कर हर माह लगभग 11 लाख रूपए से अधिक की कमाई करते हैं. उनके द्वारा गाय के गोबर से बायोगैस बना कर इस्तेमाल में लाया जाता है. बायोगैस से निकले बेकार पदार्थ से जैविक खाद बनायी जाती है.
एक गाय दिनभर में 10 किलो गोबर और 10 लीटर मूत्र देती है. 10 किलो गोबर से बायोगैस निकलने के बाद 7 किलो जैविक खाद मिलता है. जैविक खाद आजकल 35 रूपए किलो में बिकता है.
10 लीटर मूत्र से 10 लीटर अलग-अलग उत्पाद बनते है. जो 100 रूपए प्रति किलो की दर से बिकते है. प्रति गाय पर खर्च की बात है तो उनके अनुसार यह मात्र 50 रूपए आता है. गोमूत्र से कीटनाशक और अर्क तैयार किया जाता है जो विभिनन प्रकार के दवाओं में उपयोग किए जाते हैं. गोमूत्र के कीटनाशक दवाओं से पौधों और जमीन को कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि यह पास के खेत पर भी अच्छा प्रभाव डालते है.
गाय के मूत्र और गोबर की आजकल आॅनलाइन भी खूब बिक्री हो रही है. अमेजन, फ्लिपकार्ट, शाॅपक्लूज, स्नेपडिल जैसे आॅनलाइन शापिंग साइट पर इसे देखा जा सकता है. हर साइट पर इसके रेट भी काफी अलग-अलग है.
कुछ लिंक मैंने अपने ब्लाग में दिया है. लिंक पर क्लिक करके आप उन साइट पर विजिट करके खुद ही देख सकते हैं. ब्लाग का लिंक वीडियो के डिस्कैप्शन में मिल जाएगा.
इस बात से आप अनुमान लगा सकते हैं कि गोशाला से जुड़ा यह व्यापार कहां से कहां पहुंच गया है. यह बात भी जान लें गोशाला से जुड़ा यह व्यापार का लाभ पूरी तरह से मार्केटिंग पर निर्भर है. आप जितने अच्छे से मार्केटिंग कर सकते हैं उतने ही जर्बरजस्त इनकम इसके द्वारा कर सकते हैं.
यदि यह सब अपनी आंखों से देखना चाहते हैं तो उनसे सम्पर्क कर हिसार स्थित लाडवा गौशाला पर विजीट कर सकते है.
बिना दूध की डेयरी फिर भी करोड़ों की कमाई सुनकर जरूर आश्चर्य हो रहा होगा. जी हां यह सच है आज हम बिना दूध की डेरी के बिजनेस के बारे में जानकारी दें रहें हैं. यदि आप इस बिजनेस के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो इस वीडियो को अंत तक जरूर देखें.
देखा गया है गाय जब तक दूध देती है तब तक उसकी खूब सेवा की जाती है जब वह दूध देना बंद कर देती है तो उसकी ओर ध्यान नहीं दिया जाता है या उसे आवारा चरने के लिए छोड़ दिया जाता है.
लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि गोमाता का दूध ही मानव के लिए फायदेमंद नहीं होता वह इसके अलावा भी बहुत कुछ देती है जिसके द्वारा सिर्फ उसकी सेवा ही नहीं कमाई भी की जा सकती है.
दूध के अलावा गोमाता का गोबर और मूत्र काफी उपयोगी होते है. इसलिए पुराण में गाय को कामधेनू कहा गया है. इस बात को आज वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं. गोमाता के गोबर, उसके रस तथा मूत्र के द्वारा अनेक प्रकार के औषिधी और कीटनाशक का निर्माण किया जा रहा है. जो मानवजाति के लिए ही नहीं पर्यावरण के लिए काफी लाभदायक है.
अनेक संस्थाओं द्वारा किए गए सर्वे में पता चला है कि देश के हर हिस्सों में हजारों की संख्या में गायों को दूध न देने की स्थिति में उन्हें खुला छोड़ दिया जाता है. इसके बाद गोमाता सब्जी बाजार में या भीड़भाड़ वाले इलाके में इधर-उधर मुंह मारती फिरती है. भूख से व्याकुल वह जहरिली प्लास्टिक की पन्नी और गंदें चीजें खाने को मजबूर हो जाती है. और असमय मौत का शिकार हो जाती है. लावारिश पशु ट्राफिक के लिए भी समस्या पैदा करती है.
आज के दौर में इन लावारिश गायों की सेवा करते हुए विशुद्ध लाभ कमाने का एक व्यापार उभर कर सामने आया है. लावारिश गायों की सेवा करते हुए लाभ कमाया जा सकता है. लावारिश गायों की सेवा और व्यापार सुनकर अधिकतर लोगों को आश्चर्य हो रहा होगा किन्तु यह सच है. दूध न देने वाली गाय को जमा कर गाय सेवा करेंगे इसके बदले गोमाता आप पर खूब पैसा बरसाएगी.
गाय को आस्था और राजनीति से जोड़ने की बजाय इसका शुद्ध व्यापार किया जाएं तो देश की उन्नति होगी और गोमाता प्लास्टिक और जहरीली चीज़ खाने से बच जाएगी. और उसकी असमय मौत नहीं होगी. आप लोगों ने एक कहावत सुनी होगी. मरा हाथी भी लाख का होता है. ठीक उसी तरह से दूध न देने वाली गाय भी लाखों की कमाई कराती है.
हरियाणा के हिसार स्थित किसान धाम के श्री लाडवा गौशाला द्वारा ग्यारह सौ लावारिश पशुओं को पाला जा रहा है और प्रति वर्ष 3.5 करोड़ रूपए की कमाई की जाती है. उनके गोशाला में गाय के गोबर और मूत्र को बेच कर हर माह लगभग 11 लाख रूपए से अधिक की कमाई करते हैं. उनके द्वारा गाय के गोबर से बायोगैस बना कर इस्तेमाल में लाया जाता है. बायोगैस से निकले बेकार पदार्थ से जैविक खाद बनायी जाती है.
एक गाय दिनभर में 10 किलो गोबर और 10 लीटर मूत्र देती है. 10 किलो गोबर से बायोगैस निकलने के बाद 7 किलो जैविक खाद मिलता है. जैविक खाद आजकल 35 रूपए किलो में बिकता है.
10 लीटर मूत्र से 10 लीटर अलग-अलग उत्पाद बनते है. जो 100 रूपए प्रति किलो की दर से बिकते है. प्रति गाय पर खर्च की बात है तो उनके अनुसार यह मात्र 50 रूपए आता है. गोमूत्र से कीटनाशक और अर्क तैयार किया जाता है जो विभिनन प्रकार के दवाओं में उपयोग किए जाते हैं. गोमूत्र के कीटनाशक दवाओं से पौधों और जमीन को कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि यह पास के खेत पर भी अच्छा प्रभाव डालते है.
गाय के मूत्र और गोबर की आजकल आॅनलाइन भी खूब बिक्री हो रही है. अमेजन, फ्लिपकार्ट, शाॅपक्लूज, स्नेपडिल जैसे आॅनलाइन शापिंग साइट पर इसे देखा जा सकता है. हर साइट पर इसके रेट भी काफी अलग-अलग है.
कुछ लिंक मैंने अपने ब्लाग में दिया है. लिंक पर क्लिक करके आप उन साइट पर विजिट करके खुद ही देख सकते हैं. ब्लाग का लिंक वीडियो के डिस्कैप्शन में मिल जाएगा.
इस बात से आप अनुमान लगा सकते हैं कि गोशाला से जुड़ा यह व्यापार कहां से कहां पहुंच गया है. यह बात भी जान लें गोशाला से जुड़ा यह व्यापार का लाभ पूरी तरह से मार्केटिंग पर निर्भर है. आप जितने अच्छे से मार्केटिंग कर सकते हैं उतने ही जर्बरजस्त इनकम इसके द्वारा कर सकते हैं.
यदि यह सब अपनी आंखों से देखना चाहते हैं तो उनसे सम्पर्क कर हिसार स्थित लाडवा गौशाला पर विजीट कर सकते है.
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