राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाएं - पार्ट - 2 - Business Mantra बिजनेस मंत्रा : सफलता की कुंजी

राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाएं - पार्ट - 2

राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाएं - पार्ट - 2 

राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाएं पार्ट - 2

 


हलो फ्रेंडस

बिजनेस मंत्रा ब्लाग पर आपका स्वागत है. इस ब्लाग के माध्यम से बिजनेस आइडियाज, मोटिवेशन, मार्केटिंग और पब्लिसिटी के बारे में जानकारी देते हंै जो नए उद्योग शुरू करने वालों के लिए फायदेमंद होते हंै. आज हम लघु उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी योजनाओं और सरकार द्वारा दी जाने वाली मदद के बारे में जानकारी दें रहें हैं. इन सब बातों को जानना चाहते है तो आर्टिकल्स को पूरा-पूरा पढ़ें. उसके बाद कोई सवाल हो तो कमेंट बाॅक्स में लिखें.

लघु उद्योग से संबंधित भाग - 2 है. इसके पहले भाग में हमने दिया है, लघु उद्योग के अंतर्गत आने वाले उद्योगों के बारे में. इस भाग में मैं बताने वाली हूं लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं के बारे में.

लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही है. ध्यान रहे इस योजना का लाभ सिर्फ उन्हीं उद्यमियों को मिलता है जो सरकार द्वारा मान्य किए गए है.

पहला है प्रधान मंत्री रोजगार जनरेशन योजना

इसे शाॅर्ट में PMEGP कहा जाता है. प्रधान मंत्री रोजगार जनरेशन योजना केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजना है. इस योजना को सूक्ष्म, लघु एंव मध्यम उद्योग मंत्रालय के विभाग खादी ग्राम उद्योग की देखरेख में शुरू किया गया है. खादी ग्राम उद्योग की शाखाएं देश के सभी राज्यों में स्थापित है. इसलिए राज्य स्तर पर इस योजना का क्रियान्वयन खादी एवं ग्राम उद्योग की शाखा द्वारा किया जाएगा.



इस योजना का मुख्य उद्धेश्य है ग्रामीण ओर शहरी क्षेत्रों में लघु उद्योगों, सूक्ष्म उद्योगों, कुटीर उद्योगों की संख्या को बढ़ाकर भविष्य में ऐसे कारीगरों को एक स्थिर उद्योग देने का है. जिससे परंपरागत तरीके उद्योग को चलाने वाले शिल्पियों, कारीगरों को अपनी खानदानी हस्तकालाओं को बंद करके रोजी रोटी के लिए शहरों की ओर पलानय न करना पड़े.

इस योजना का दूसरा मुख्य उद्धेश्य है, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना. ग्रामीण और शहरी बेरोजगार युवा कारीगरों को एकत्र करना और उन्हें उद्योग के लिए प्रोत्साहित करना व उद्योग शुरू करने में मदद करना.


इस योजना के अंतगर्त ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र में रहने वाले सामान्य वर्ग के लोगों को उद्योग की लागत का दस प्रतिशत अपने पास से लगाना होता है.शहरी क्षेत्रों में रहने वाले सामान्य वर्ग के लोगों को पंद्रह प्रतिशत की सब्सिडी और ग्रामीण इलाकों में अपना प्रोजेक्ट शुरू करने वाले सामान्य वर्ग के लोगों को पच्चीस प्रतिशत की सब्सिडी भारत सरकार द्वारा दी जाएगी.

- इसी तरह से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अलपसंख्यक एंव अन्य वर्गो के लोगों को अपने प्रोजेक्ट का सिर्फ पांच प्रतिशत ही अपने पास से लगाना होगा. सरकार द्वारा दी जाने वाले लोन में शहरी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत की सब्सिडी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 35 प्रतिशत की सब्सिडी का प्रावधान है.

- म्युनिफेक्चुरी सेक्टर यानी निर्माण क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले उद्योग में उन्हें ही सब्सिडी दी जाएगी जिनकी लागत 25 लाख से कम होगी. 25 लाख से अधिक वाले प्रोजेक्ट पर यह नियम लागू नहीं होगा.

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- सर्विस सेक्टर यानी सेवा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले उद्योग जिनकी लागत 10 लाख से अधिक होगी वे प्रधानमंत्री रोजगार जनरेशन प्रोग्राम के तहत उन्हें लोन नहीं मिलेगा. यानी 10 लाख से कम निवेश करने वाले उद्योग को लोन की सुविधा मिलेगी.

उम्र


प्रधान मंत्री रोजगार जनरेशन योजना लाभ कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18 साल से अधिक है इस योजना का लाभ ले सकता है.

शिक्षा

- प्रधान मंत्री रोजगार जनरेशन योजना अंतर्गत मेनूफेक्चरीग यानी निर्माण क्षेत्र में और सर्विस सेक्टर यानी सेवा क्षेत्र में पांच लाख से उपर का प्रोजेक्ट लगाने के लिए उद्यमी को कम से कम आठवीं पास होना जरूरी है.
सबसे महत्वपूर्ण बात प्रधानमंत्री रोजगार जनरेशन प्रोग्राम के अंतर्गत उन्ही प्रोजेक्ट को मदद मिलती है जो इनके द्वारा मान्य ¼Approved½ किए गए हो.


दूसरी योजना है प्रधान मंत्री मुद्रा योजना ¼PMMY½

मुद्रा यानी माईक्रो युनिट डेवलपमेंट एण्ड रेफिनेस एजेंसी लिमिटेड
¼Micro Unite Development & Refinance Agency Ltd.½


मुद्रा योजना का मुख्य उद्धेश्य है सूक्ष्म उद्योग के लिए बैंको और अन्य संस्थाओं से लोन दिलाना है. ताकि छोटे उद्यमी अपने उद्योग को सुचारू रूप से चला सकंे. एक आकडें के अनुसार देश के लगभग 90 प्रतिशत सूक्ष्म उद्योग धन के अभाव में बंद हो जाते थे. क्योंकि इसके पहले अधिकतर उद्यमी बैंक नहीं जा पाते थे या फिर बैंक उन्हें आसानी से लोन नहीं देती थी.

सू़क्ष्म उद्यमियों को आसानी से लोन देने के लिए मुद्रा योजना आंरम्भ की गई. मुद्रा योजना को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहला है जिन्हें 50,000 से कम का लोन चाहिए, दूसरा है 50 हजार से अधिक और पांच लाख से कम, इसी तरह तीसरा है, 5 लाख से अधिक और 10 लाख से कम लोन चाहिए.

ध्यान दें

मुद्रा योजना के अंतर्गत लोन लेने पर किसी को किसी तरह की सब्सिडी नहीं है.



मुद्रा योजना के अंतर्गत कुटीर उद्योग और सूक्ष्म उद्योग से जुड़े सभी लोग जो स्वयं अपना उद्योग कर रहे है या फिर किसी के साथ मिलकर पार्टनशिप में उद्योग कर रहे है उन्हें शामिल किया गया है.

मुख्यत निर्माण क्षेत्र, सेवा क्षेत्र, की छोटी-छोटी ईकाईयां जो सरकार द्वारा मान्य उद्योग की श्रेणी में आते है, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत लोन दिया जाएगा.


जैसे दुकानदार, फल सब्जी बेचने वाले, मशीन आॅपरेटर्स, कारीगर, खाद्य प्रसंस्करण, कागज का सामान बनाने वाले, जरी का काम करने वाले, खाद्य प्रसंस्करण, बढ़ई यानी कारपेंटर, कंप्यूटर रिपेयरिंग, आॅटो रिपेयरिंग इसके अलावा भी बहुत सारे काम है जिन्हें उद्योग के अंतर्गत रखा गया है. लघु उद्योग के अंतर्गत आने वाले उद्योग के बारे में जानने के लिए ब्लाॅग में जाकर देख सकते हैं. योजना के अंतर्गत कागज का सामान बनाने वाले, जरी का काम करने वाले, खाद्य प्रसंस्करण, बढ़ई यानी कारपेंटर, कंप्यूटर रिपेयरिंग, आॅटो रिपेयरिंग आदि के आते है.

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