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बिजनेस की बातें | सुनो सबकी करो अपने दिमाग की | Business Tips | Business Mantra

Self+Confidence+1



Decide to win | best motivation story | सुने सबकी करो अपने मन की | Business Mantra


हलो फ्रेंड्स, 


बिजनेस मंत्रा ब्लाग पर आप सभी का स्वागत है. इस ब्लाग के माध्यम से हम नए बिजनेस आइडियाज, मोटिवेशन,. अर्न मनी,. पब्लिसीटी,. मार्केटिंग आदि के बारे में जानकारी देते है.. जो नए बिजनेस करने वालों के लिए उपयोगी होते हैं.
आज एक कहानी शेयर कर रहे हैं. इसे ध्यान से सुनिएगा. इसमें बिजनेस से संबंधित कई टिप्स आपको मिल जाएंगे. यह कहानी काफी सालों पहले लिखी थी. इसे पढ़ने के बाद मैंने महसूस किया कि यह नए बिजनेस करने वालों के लिए काफी उपयोगी हो सकती है. 


Self+Confidence+8



चलिए, कहानी सुनते हैं.


सतपुड़ावन में डेचू गधे ने चाय की दुकान खोली. उसने अपने दुकान पर सतपुड़ावन टी स्टाल. का एक बड़ा सा बोर्ड लगा दिया. बोर्ड के नीचे लिखा था ‘यहा. पर आपके पसंद की स्पेशल चाय मिलती है.’’


दुकान पर बोर्ड देखकर बंकू बंदर आया. उसने दुकान के सामने रखी कुर्सी पर बैठते हुए, एक स्पेशल चाय का आर्डर दिया.’’


डेचू गधे ने जल्दी से स्पेशल चाय बनाकर दी. 



चाय का एक घुंट पीते ही बंकू गुस्से से चिल्लाते हुए बोला, ‘‘क्या, यह स्पेशल चाय है? न इसमें दूध है न चीनी न चाय पत्ती.’’


डेचू ने कहा., ‘‘मैंने तो इसमे. दूध शक्कर चाय पत्ती बराबर डाली थी.’’


बंकू बोला, ‘‘लगता है तुम्हें चाय बनानी नहीं आती. चाय बनाना कोई मामूली काम नहीं है इसमें काफी समझदारी की जरूरत होती है.’’


‘‘ठीक है तुम ही बताओ, चाय कैसी बनती है.?’’ डेचू ने कहा. 


‘‘देखो, पानी मे. चीनी और चाय पत्ती डाल कर अच्छे से उबाल कर चाय का लिकर बना लो. जब कोई चाय मांगे इसमें गरम दूध डाल कर दे देना. इस चाय को पीने के बाद सभी तुम्हारी चाय की तारीफ करते नहीं थकंेगे.’’
बंकू के वहां से जाते ही लोलो बकरी चाय पीने वहां पहुंची. डेचू ने बंकू के बताये अनुसार चाय बनाकर लोलो को दी. 

इन वीडियो को भी आप अवश्य देखें -


चाय पीने के बाद लोलो बकरी ने डेचू को दो-चार बातें सुनाते हुए बोली, ‘‘मूर्ख, तुझे चाय बनानी नहीं आती. और तूने चाय की दुकान खोल ली. मैं तुझे बताती हूं चाय कैसे बनायी जाती है? तुम उसी तरह से चाय बनाना. फिर देखना सतपुड़ावन के सभी जानवर यहां चाय पीने के लिए लाइन लगाएंगे.’’

डेचू गधा चुपचाप लोलो बकरी की बातें सुनता रहा. 


लोलो ने उसे चाय बनाने के तरीके को समझाते हुए कहा., ‘‘दूध में चीनी डालकर अच्छे से उबालो. जब कई उबाल आ जाये. उसके बाद उसमें चायपत्ती डालकर बर्तन को ढ़ाक देना फिर देख कितनी बढ़िया चाय बनती है.’’ चाय बनाने का नया फार्मूला बताकर लोलो वहां से चली गयी.


इतने में वहां चतरू सियार चाय पीने पहुंचा.  चतरू ने एक फुल गिलास चाय मलाई मार कर मंगवायी. डेचू ने लोलो वाले तरीके से चाय बना कर चतरू को दी. 


चाय पीकर चतरू ने कहा, ‘‘चाय बनाना नहीं आता है तो किसी और चीज़ की दुकान खोल लेते. ऐसी बेकार चाय पिलायेगा तो कोई दुबारा दुकान पर नहीं आयेगा.’’ इतना कहकर वह वहां से चला गया.



थोड़ी दूर जाने के बाद वह लौट कर डेचू के पास आकर बोला, ‘‘चाय की दुकान अच्छे से चलाने के लिए पहले चाय बनाना सीख ले. मैं तुझे चाय बनाने का तरीका बताता हू.. पहले पानी में चाय पत्ती चीनी और अदरक डाल कर अच्छे से उबाल लेना. जब गुलाबी रग दिखायी दे. तो उसमे. दूध डाल देना. फिर देख कितनी बढ़िया चाय बनती है.’’ चतरू एक नया चाय का फार्मूला बता कर वहां से चला गया. 


डेचू बेचारा सबकी बातें सुनता उनके बताएं अनुसार वह दूसरों को चाय बना कर देता पर उन्हें चाय अच्छी नहीं लगती. उसने मन ही मन फैसला कर लिया.

इन वीडियो को भी आप अवश्य देखें -



तभी वहां बल्लू भालू चाय पीने पहुंचा.  उसने डेचू से चाय मांगी तो डेचू ने बोर्ड की ओर इशारा कर दिया. 
बोर्ड पर लिखा था, ’यह चाय की दुकान है. जिसे जैसी चाय पीनी पसंद है वह खुद बनाकर पी ले..’ 


इसे पढ़कर बल्लू भालू ने हंसते हुए. पूछा, ‘‘तुमने ऐसा क्यों लिखा?
डेचू ने कहा., ‘‘यहां जो भी चाय पीने आता है, वह नए तरीके से चाय बनाने की सलाह देता है. इससे मैं परेशान हो गया हूं इसीलिए मैंने सोचा, जिसे जिस तरह की चाय पसंद है वह खुद ही बना कर पी ले.’’


 डेंचू की बात सुनकर बल्लू भालू जोर से हंसा फिर उसने कहा., ‘‘आखिर तुम रहे न गधे के गधे. अरे, दुनिया मे. मुफ्त की सलाह देने वालों की कमी नहीं है.. जो भी आयेगा वह कुछ न कुछ सलाह जरूर देगा. इसका मतलब यह नहीं कि तुम सबकी सलाह मानो.’’  

बल्लू की बातें डेंचू की समझ में आ गयी. उस दिन से उसने दूसरों की सलाह माननी छोड़ दी. चाय पीने के बाद कोई सलाह देता तो डेंचू उनकी बातों को अनसुना कर देता. धीरे-धीरे उसके चाय की दुकान खूब अच्छी चलने लगी.


Self+Confidence+9


इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि 


- जिस कार्य के बारे में पूरी जानकारी हो उसी कार्य को करना चाहिए. 

- अपने कार्य को दूसरों के सलाह पर ध्यान दिए बिना पूरे आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए. 

- यह जान लें जो जीवन में असफल होते हैं वही दूसरों को सलाह देते हैं और दूसरों से सलाह लेते है. 

- आत्मविश्वास के साथ जो अपने काम में लगे रहते हैं. वे सफलता की सीढ़िंयों को चढ़ते हुए आगे बढ़ जाते हैं. वह फालतु की बातों पर ध्यान नहीं देते हैं. 

- इसीलिए कहा जाता है, सुनो सब की, करो अपने दिमाग की.

फ्रेंड्स, मुझे उम्मीद है आपको कहानी पसंद आयी होगी. इसी तरह कहानी के द्वारा बिजनेस की बातों को समझना चाहते हैं. तो कमेंट बाक्स में लिखें. जिन्होने अब तक बिजनेस मंत्रा ब्लाग को सबक्राइब नहीं किया है सबक्राइब कर दें. (काॅपीराइट बिजनेस मंत्रा)

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